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स्टॉप लॉस ( थ्योरी ) क्या है Stop Loss Theory Kya Hai (What is Stop Loss Theory)
“स्टॉप लॉस सब से ही पता चलता है कि उसका मुख्य उद्देश यह है कि शेयर का भाव जब जादा होता है तब आपका फ़ायदा बढ़ाना या बचाना रखना और जब शेयर का भाव घाटा है तब आपके घाटे को नियंत्रित करना!
दूसरे सब्दो में बताना हो तो उसका मूल आपको आपकी आर्थिक बरबादी से बचना होता है | स्टॉप लॉस आपके लिए किसी बीमा पॉलिसी की तरह करता है!
स्टॉप लॉस तीन प्रकार के होते है
दूसरे सब्दो में बताना हो तो उसका मूल आपको आपकी आर्थिक बरबादी से बचना होता है | स्टॉप लॉस आपके लिए किसी बीमा पॉलिसी की तरह करता है!
स्टॉप लॉस तीन प्रकार के होते है
1.आरंभिक स्टॉप लॉस।
2. ट्रेलिंग स्टॉप लॉस।
3. ब्रेक ईवन स्टॉप लॉस।
सफल हुए के ट्रेडर नुक्सान को ट्रेडिंग का ही एक हिस्सा मानकर सुविकार करते हैं | घाटा उनको मिटा दे उसे पहले वह घाटा कम करने के लिए कदम उठाते हैं
1. आरंभिक स्टॉप लॉस
ट्रेडिंग की सुरुआत में ही आपको आरंभिक स्टॉप लॉस लगाना चाहिए | साधारण रूप से जब तेजी की पोजीशन ली जाती है तब पिछले दिनों के कम भाव के थोड़े से निचे ही स्टॉप लॉस लगाना चाहिए | उसी तरह से मंदी की पोजीशन के लिए पिछले दिन के सबसे अच्छे बंद भाव से थोड़ा ऊंचा स्टॉप लॉस लगाया जाता है |
क्या सही से स्टॉप लॉस का चयन करने के बाद अपने ट्रेडिंग की साइज निश्चित कर सकते हैं | रिस्क मैनेजमेंट के नियमों के अनुसार आपको यह साइज निश्चित करनी चाहिए | जैसे कि हमें पहले चर्चा की रिस्क मैनेजमेंट आरंभिक स्टॉप लॉस का उपाय करके बाजार में आपको होनेवाला घाट मर्यादित रखने के लिए ही किया गया है |
ब्रेक इवन स्टॉप लॉस निश्चित करने के बाद बाजार की स्थिति एकदम खराब हुई तो आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है आपका घाटा मात्र दलाली तक की रकम ही होती है | जो बहुत कम ली जाती है
जिन शेयर्स में आपकी तेजी की पोजीशन ली है अन शेयर्स का भाव 100 है इन शेयर्स की आपकी कीमत 96 है और आपका ट्रेलिंग स्टॉप लॉस 98 का है |
2. ब्रेक ईवन स्टॉप लॉस
आपकी खड़ी की हुई पोजीशन में आपकी गिंटी के अनुसार शेयर्स का भाव ठीक से बढ़ रहा हो तब आप स्टॉप लॉस को ऊपर ले जा कर ब्रेक ईवन स्टॉप लॉस पर अनुमान किजिये | दूसरे शब्दों में बताना हो तो आपके 100 के भाव से ख़रीदे हुए आओर 98 के स्टॉप लॉस वाले शेयर का भाव 102 होता है तब आप स्टॉप लॉस 98 से ऊपर ले जाकर 100 बराबर कर सकते हैं | क्या तारिका को ब्रेक इवन स्टॉप लॉस कह पहचानना जाता है |ब्रेक इवन स्टॉप लॉस निश्चित करने के बाद बाजार की स्थिति एकदम खराब हुई तो आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है आपका घाटा मात्र दलाली तक की रकम ही होती है | जो बहुत कम ली जाती है
3. ट्रेलिंग स्टॉप लॉस
बाजार में आपकी खड़ी की हुई पोजीशन आपके निश्चित टारगेट प्राइस पर आपको स्टॉप लॉस का ब्रेक ईवन स्टॉप लॉस में से ट्रेलिंग स्टॉप लॉस में बदल दिया जाता है | ट्रेलिंग स्टॉप लॉस आपके स्टॉप लॉस को ऊपर ले जाने की प्रक्रिया है | ट्रेलिंग स्टॉप लॉस भाव के बढ़ात या घाटव के अनुसार बढ़ानेवाला या घाटनेवाला स्टॉप लॉस है |इस ट्रेलिंग प्राइस के नाम से भी जाना जाता है तेजी के पोजीशन में ट्रेलिंग प्राइस अधिक होता है और मंडी के पोजीशन में ट्रेलिंग प्राइस कम होता हैजिन शेयर्स में आपकी तेजी की पोजीशन ली है अन शेयर्स का भाव 100 है इन शेयर्स की आपकी कीमत 96 है और आपका ट्रेलिंग स्टॉप लॉस 98 का है |
अब इन शेयर्स का भाव धीरे बढ़ता है आओर 101”102”103” होता है |भाव की इस बढ़ोत्री के साथ ही आप अपना स्टॉप लॉस 98 से ऊपर ले जाकर 99”100 आओर 101 करते हैं अब शेयर्स का भाव 103 पर इस्तिर होकर घटने लगे तब भी आपका ट्रेलिंग स्टॉप लॉस बदला नहीं है | जब शेयर का भाव घाटकर 101 या हमसे भी आला होता है तब वह शेयर बेचकर हर शेयर पर 5 का फायदा लेकर बाहर निकलता है |
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